स्वर्णिम भारत न्यूज़ संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए रतन टाटा भगवान की तरह थे। वे बेहद ही सरल स्वभाव वाले थे। समूह के चेयरमैन होने के बावजूद उन्हें कई कर्मचारियों का नाम मुंह जुबानी याद रहती थी।
इसलिए जब भी वे जमशेदपुर आते, कंपनी के शाप फ्लोर पर जाकर अपने साथ काम कर चुके पुराने कर्मचारियों से जरूर मिलते थे। टाटा स्टील ही नहीं बल्कि टाटा समूह के सभी कर्मचारियों के लिए रतन टाटा का जाना एक अपूरणीय क्षति के समान है।
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